
‘वह भी कोई देस है महराज’-अनिल यादव की पुर्वोत्तर भारत के यात्रा की रोमांचक यात्रा वृत्तांत पर लिखीं किताब का सुक्ष्म अंश।
क्रिश्चियन आंटी को सबसे पहले मैंने यही किस्सा सुनाया और जानना चाहा कि क्या यह सच है।
“सेमा लोग कुछ भी खा सकता है वैसे एलीफेंट मीट बुरा नहीं होता” उन्होंने कहा। हम लोग क्रिश्चन आंटी के मेहमान थे जिनके बच्चे विदश में नौकरियां कर रहे थे। 12 घंटों के दौरान उन्होंने गिन कर बताया कि नगाओं के 32 कबीलें है,जिनमें से 5 वर्मा में 16 नागालैंड में सात मणिपुर में तीन अरुणाचल के तीराप में और असम के कार्बी व नार्थ कछार में बसे हुए है…
मिथक के मुताबिक पहले नागा का नाम पोजा या खोजा था जो पूरब दिशा से आया था। मणिपुर में एक जगह है मेकरोमा, वहां पहुंचकर दुविधा में पड़ गया कि आगे कहां जाए। आखिरकार उसने भगवान से रास्ता दिखाने की प्रार्थना की अचानक एक चिड़िया उड़ती आई और उसके मिथुन (गाय की तरह की जानवर) की सींग पर बैठ गई, फिर उस दिशा में उड़ गई जहां आज खेजाकेनुमा है। रास्ते का पक्का भरोसा करने के लिए ओझा ने अपनी लाठी फेकी वह भी उसी दिशा में गिरी जिधर चिड़िया उड़ कर गई थी। इसे आत्माओं का आदेश मानकर वह उस दिशा में चला, एक जगह एक मेढ़क मिला जो एक चावल का दाना लाया। दाने को उसने पत्थर पर रखा जो दो टुकड़ों में बट गया। वहीं कोजा पत्नी के साथ बस गया। उनके ढेरों बच्चे पैदा हुए। पूजा के पवित्र पत्थर पर चावल की पहली फसल के दाने कौन चढ़ाते, इसे लेकर बच्चों में झगड़ा हुआ तो कोजा की बीवी ने पत्थर के नीचे आग लगाई। पत्थर के कई टुकड़े हों गये। आत्माओं का संकेत समझकर कोजा के बच्चे भी कई दिशाओं में जाकर बस गए, जिन्हें अब विभिन्न नागा कबीलों के रूप में जाना जाता है। खेजाकेनुमा में पत्थर की एक विशाल शिला है जिसे नागा पूजते हैं।
एक जैसे दिखते, एक के बाद एक पहाड़ों में से बसने के लिए कौन सा ठीक रहेगा! कहानी से इस दुविधा का और आजीविका की खोज के लिए एक से अनेक कबीले बनने के सिलसिले का तो पता चलता है, लेकिन एक सवाल सदा रह जाता है। इन कबीलों की इतनी अलग बोलियां कैसे हैं? नागा एक दूसरे के शब्द ही नहीं भावनाएं भी नहीं समझ पाते और उनके बीच कुटीर पैमाने पर युद्ध चलते रहते हैं। आदिवासियों के इतिहास की गुत्थियों को अकादमिक औजारों से समझा नहीं जा सकता। जिसे हम कागजों पर तलाशते हैं वह हवा नदियों और पत्तियों पर लिखा है हर छण बदल रहा है। नागा सब ही उनकी किसी बोली में नहीं है यह नाम उन्हें बाहरी लोगों ने लिया जिसका ठीक अर्थ किसी को नहीं पता….
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