
यह राष्ट्रवादी विचारधारा का शिकार मुक्तिबोध के क्वाड ईथरली की कहानी है। जो अपने कृत्य से आत्मग्लानि महसूस करता है।
प्रसिद्ध आलोचक ‘नामवर सिंह जी‘ के अनुसार ‘क्लाड ईथरली’ जैसी कहानी ना किसी ने पहले लिखी है ना कोई ऐसी क्षमता रखता है।
सार
मुक्तिबोध का क्लाड ईथरली का चरित्र पूरी सभ्यता को नंगा करता है। इस कहानी का विस्तार बड़े स्तर का है। परन्तु इसमें मुझे व्यक्तियों के अपनी कुंठा से निजात पाने की छटपटाहट और विवशता दिखती है।
मुक्तिबोध जी ने इस कहानी के अपरिचित पात्र की बातचीत द्वारा आगे बढ़ाया है। उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति के अपने द्वंदों से निकलने तथा अपने अस्तित्व को बनाए रखने की इच्छा को दर्शाया है, जो अपने किये हुए कार्य के अपराधबोध व पश्चाताप में जल रहा है।
अजनबी पात्र लेखक को कहता है “वे लोग जो अपने पापाचार रूपी डाकू को अपने सीने में लिए बैठे समझते हैं। अन्याय का अनुभव करने वाले लोग अपने मन में इसका एहसास रखते हैं। वे सभी क्लाड ईथरली है।
कहानी का क्लाड ईथरली जिसने हिरोशिमा पर बम गिराया था। वह लेखक की कल्पना है। उस अमेरिकी पायलट का वास्तविक नाम मेजर चार्ल्स डब्लू स्वीनी है। जिसने जापान के हिरोशिमा पर बम गिराया था।
मुक्तिबोधि जी ने इस काल्पनिक पात्र द्वारा उसके आत्मा की आवाज को सुनाया है। जिससे उसे अपराध बोध व पश्चाताप होने लगता है
मुक्तिबोध को पढ़ना अनेक पक्षों पर, हमारे विचार को साफ बनाता है तथा उस पर समझ को बढ़ाता है।
उनकी रचना जीवन के सभी संशयों व विरोधाभास का एक परिचय व जटिल व्यवहारों पर आसान जानकारी/समझ उपलब्ध कराती है।
उनकी लेखनी हमारे नैतिक मूल्यों पर सोचने को विवश करती है एक तरह से व्यक्ति के कथित नैतिकता को उधेड़ कर रख देती है।
इसका उदाहरण उनकी दो अन्य कहानियां ‘मोह और मरण’ तथा ‘नई जिंदगी में भी दिखता है।
वार हीरों
इस प्रसिद्ध रचना में व्यक्ति द्वारा अपने किये कार्यों (भौतिकवादी कृत्यों) के कारण उत्पन्न संशय, कुछ भी न तय कर पाने की विवशता, घुटन और उससे निकलने की छटपटाहट की कहानी है।
एक राष्ट्र द्वारा क्लाड ईथरली जैसा एक वार हिरो को तैयार कर पुरे समाज पर थोप दिया जाता है। जो एक देश के एक शहर हिरोशिमा पर एटम बम गिराता है। जिससे बहुत बड़ी संख्या में निर्दोष बच्चे औरतें और बुढ़े हताहत हो जातें हैं।
क्लाड के पापाचार को आड़ दिया जाता है। उस देश के सभी लोग भी उसे अपना नायक मानते है। जबकि वह अपने कृत्य हेतु अपने को माफ नहीं कर पाता है।
वार हीरो का लेखक से मिलाप
इस कहानी को पढ़ते मैं तब जुड़ जाता हूं जब लेखक पागलखाने की दीवार पर चढ़कर खिड़की के अंदर देखता है।
जिस व्यक्ति से उसकी नजर मिलती है वह स्तब्ध व आश्चर्य में लेकिन अपने में खोया एकाग्र है। उसी क्षण भर के पल में लेखक को ऐसा लगता है। कि वह व्यक्ति एक संशय में है। जिससे वह बाहर आने के लिए परेशान हैं।
कहानी में यही विवशता, अकुलाहट व घुटन क्लाड ईथरली पात्र के जरिए दर्शाया गया है।
पागलखाने में जिस व्यक्ति को लेखक ने देखा है वह क्लाड ईथरली है, जैसा कि रास्ते में मिला अपरिचित व्यक्ति उसे बताता है-
‘क्लाड ईथरली अमेरिकी नागरिक जिसने हिरोशिमा पर एटम बम गिराया था।’ बम गिराने के बाद से उसके अपने कृत्य पर होने वाली उसके व्यथा की यह कहानी है।
कहानी का एक छोटा अंश
क्लाड ईथरली एक विमान चालक था। उसके एटम बम से हिरोशिमा नष्ट हुआ। वह अपनी कारगुजारी देखना उस शहर गया।
उस भयानक बदरंग-बदसूरत कटी लोथो के शहर को देखकर उसका दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया। उसको पता नहीं था कि उसके पास ऐसा हथियार है । उस हथियार का यह अंजाम होगा।
उसके दिल में निरपराध जनों के प्रेतों, शवों लोथो लाशों के कटे-पीटे चेहरे तैरने लगे। उसके हृदय में करुणा उमड़ आई।
उधर अमेरिकी सरकार ने उसे इनाम दिया। वह वार हीरो हो गया। लेकिन उसकी आत्मा कहती थी कि उसने पाप किया है, जघन्य पाप किया है। उसे दंड मिलना ही चाहिए। नहीं। लेकिन उसका देश तो उसे हीरो मानता था। अब क्या किया जाए।
उसने सरकारी नौकरी छोड़ दी। मामूली से मामूली काम किया। लेकिन फिर भी वह वार हीरो था, महान था। क्लाड ईथरली महानता नहीं दंड चाहता था, दंड।”
उसने वारदातें शुरू की जिससे कि वह गिरफ्तार हो सके और जेल में डाला जा सके। किंतु प्रमाण के अभाव में बार-बार छोड़ दिया गया।
उसने घोषित किया कि वह पापी है, पापी है उसे दंड मिलना चाहिए। उसने निरअपराध जनों की हत्या की है, उसे दंड दो। हे ईश्वर! लेकिन अमेरिकी व्यवस्था उसे पाप नहीं महान कार्य मानती थी। देशभक्ति मानती थी।
जब अमेरिका ने ईथरली की ये हरकतें देखी तो उसे पागलखाने में डाल दिया। टेक्सास प्रांत में वायो नाम की एक जगह है- वहां उसका दिमाग दुरुस्त करने के लिए उसे डाल दिया गया। वहां वह 4 साल तक रहा, लेकिन उसका पागलपन दुरुस्त नहीं हो सका।”
कहानी के बाद
कहानी के बाद लेखक से वह अपरिचित व्यक्ति कहता है ” ईथरली परमाणु युद्ध का विरोध करने वाला आत्मा की आवाज का दूसरा नाम है।
वह मानसिक रोगी नहीं है। वह अपने किये कार्य की आत्मग्लानि के अशांति का व अपने चेतन मन से बेचैन रहने वालो का ज्वलंत प्रतिक है।
आपको मुक्तिबोध को पढ़ना चाहिए। उपरोक्त कहानी उनकी किताब ‘काठ का सपना’ से है।
काठ का सपना में एक कहानी ‘ब्रह्मराक्षस का शिष्य’ है। ब्रह्मराक्षस एक बावड़ी में रहता है। वह एक विद्वान की मृत आत्मा होती है। जो अपने ज्ञान को उचित शिष्य ने मिल पाने के कारण अपने साथ ही लेकर मर जाती है।
ब्रह्मराक्षस का ज्ञान अथाह था जो किसी को बांट नहीं पाया। इसी से वह उस बावड़ी में बेचैन रहता है। इस तरह एक फैंटेसी रच कर मुक्तिबोध जी ने इस कहानी को संवेदनशीलता से भरी बहुत ही सुन्दर कहानी बना दिया है। आपकों इनकी कहानियों को पढ़ना चाहिए।