भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है। यह संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ‘स्टेट आफ वर्ल्ड पापुलेशन’ की रिपोर्ट है।
भारत की आबादी
भारत की आबादी 142.86 करोड़ तथा चीन 142.57 करोड़ हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार भारत की आबादी एक चौथाई हिस्सा कामकाजी उम्र का है।
जिसमें एक बड़ा हिस्सा युवाओं का है। जो आगे भारत के विकास के लिए लाभदायक हो सकता है।
जनसंख्या गणना
https://www.worldometers.info/world-population/india-population/
भारत जनसंख्या पर चीनी प्रतिक्रिया
इस रिपोर्ट के आने के बाद चीनी विदेशी प्रवक्ता ने तुरंत जनसंख्या वृद्धि पर अपना बात रखी। चीनी विदेशी प्रवक्ता इशारा करते हैं कि सिर्फ जनसंख्या की वृद्धि ही महत्वपूर्ण नहीं है। जनसंख्या उसकी आबादी के संख्या से नहीं बल्कि कितनी योग्यता वाली आबादी किसी भी देश के पास है वो मायने रखेगी। जनसंख्या वृद्धि के साथ गुणवत्ता जरूरी है। चीनी प्रवक्ता के अनुसार उसके 90 करोड़ कामकाजी लोगों में अधिकतर आबादी गुणवत्ता वाली है। जो उसके देश के विकास में उसे सबसे आगे ले जाएगी।
चीन की यह प्रतिक्रिया हमें दिखातीं है कि वह कैसे इस औद्योगिकरण वार में अपनी युवा आबादी के कुशलता व उनके रोजगार को लेकर गंभीर है ।
चीन की आबादी लाभ
चीन को में जब युवा आबादी के बढ़ने का लाभ मिला तो उसने उसका रणनीतिक रूप से बेहतर उपाय करके अपने देश की तस्वीर ही पलट दिया। विश्व में चल रहे औद्योगिकरण(1990 के आसपास) की मांग के हिसाब से उसने अपने यहां कुशल श्रमिक तैयार किया। आज वह विकास के हर क्षेत्र में अमेरिका के सामने खड़ा है।

चीनी औद्योगिकरण
चीन में औद्योगिकरण की प्रक्रिया सबसे निचले स्तर से शुरुआत हुई। उसने सबसे पहले अपने यहां सड़कों, पुलों, प्राथमिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य लाभदायक उत्पादन सम्पत्तियों पर बीस से तीस साल तक काम किया।
उपरोक्त कामों से चीन ने बहुत लाभ उठाया। जब पूरे विश्व में 1990 के आसपास औद्योगिक कारखानों के लिए श्रमिकों की कमी चल रही थी। चीन ने विश्व की सभी कंपनियों के लिए अपना दरवाजा खोल दिया। किसी भी प्रकार का उद्योग जो चीन में आया, उसके लिए चीन में गुणवत्ता वाले वर्कफोर्स तैयार मिले। विश्व की सभी बड़ी कंपनियां चीन पहुंचने लगी। पुरे विश्व में चीन के इन कामों की सराहना होती है।
इस बार राष्ट्रपति चुनाव में उतरे कैनेडी का एक वक्तव्य चीन के अपने विकास के लिए कीए गये कार्यों की तरफ इशारा करते हैं । कॉमेडी कहते हैं अमेरिका लगभग $8 ट्रिलियन डॉलर सड़क पुल भवन तबाह करने में ख़र्च किया है। जबकि चीन लगभग 8 ट्रिलियन डॉलर पुल सड़क भवन इन्फ्राट्रक्चर को बनाने में खर्च किया है। इसलिए वह आज विकास के मामले में हमारे सामने खड़ा है।
भारत की आबादी लाभ
अब यही हमारे देश की तरफ से इस जनसंख्या वृद्धि का कैसे लाभ लिया जाएगा कोई पक्ष रखा गया हो या ना लेकिन जो हम पढ़ और देख रहे हैं। उस हिसाब से हम अपनी इस जनसंख्या लाभांश का फायदा उठाने से चुक सकते हैं। इतिहास के सबसे बड़े कामकाजी जनसंख्या के होते हुए भी अगर इसका उपयोग न कर पाए तो ये हाथ आया मौका निकलने सा होगा।
भारत का विकास
भारत 1990 से उदारीकरण का दौर से विकास की तरफ थोड़ा सा रफ्तार में आया था। आज के दिन में यातायात रेलवे सड़क मार्ग बहुत बेहतर अवस्था में है। अभी हाल ही में मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया गया था। मगर इन सब में एक बुनियादी समस्या रही है। हम गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर सके हैं। छोटे उद्योगों और फैक्ट्रियों का निर्माण कम हुआ । यहां तक कि छोटे धंधे समाप्त होने लगे हैं, जो कि लाखों लोगों को रोजगार दे सकते थे।

भारत में बेरोजगारी
आज बहुत बड़ी कामकाजी आबादी बेकार बैठी हुई है। बेरोजगारी की समस्याएं विकराल रूप ले चुकी है। गुणवत्ता बढ़ाने वाली शिक्षा का अभाव है। उच्च शिक्षा महंगी होती जा रही है। इस समय तो एक और समस्या भयानक रूप लेती जा रही है। बेगार नौजवानों का ग्रुप संप्रदायिक दंगाई के रूप में बदलते जा रहे हैं। भारत के इस बहुत बड़े कामकाजी आबादी का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है यह साफ दिखता है।
हमारे देश के कामकाजी आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रहा है। जिसका मासिक वेतन आठ से दस हजार रुपए तक या इससे भी कम है। इससे साफ है कि इस बढ़ती शिक्षा व स्वास्थ्य के खर्च के समय में, वे अपने बच्चों का देखभाल सही से नहीं कर सकते हैं।
हमरी सफलता की आशा
सबसे बड़ी बात यह है कि अगले 10-15 वर्षों के बाद यही कामकाजी हिस्सा का बहुत बड़ा भाग आश्रितों में शामिल होता चला जाएगा। अब जबकि हमारे पास इस जनसंख्या लाभ का फायदा उठाने का कम समय बचा है। अब देखना है कि कैसे हम बातौर एक देश इस संसार को चीनीयों और अमेरिकियों की तरह नए , ताजे और सबको अचंभित करने वाले नजरिए से विकास की नई ऊंचाइयों की तरफ कैसे अपना कदम बढ़ाते हैं।
स्रोत
3.अमर उजाला