
प्रस्तुत है कुछ कविताएं जो बच्चों के मन भाएं। ये सभी कविताएं बहुत बार हर समय के बच्चों द्वारा पढी जाती है।
एक चिड़िया के बच्चे चार

एक चिड़िया के बच्चे चार,
घर से निकले पंख पसार,
पूरब से पश्चिम को जाएं,
उत्तर से दक्षिण को जाएं,
घुम-घामकर घर को आए,
आकर मां को बात बताएं,
घूम लिया है जग सारा,
अपना घर है सबसे प्यारा ।
इस कविता को हमारी प्यारी बिटिया रानी अर्तिका ने कंठस्थ कर लिया है। सब को सुनाती रहती है। इसके लेखक की जानकारी मुझे अभी नहीं है।
पर्वत कहता
कवि- सोहनलाल द्विवेदी

पर्वत कहता
शीश उठाकर
तुम भी ऊंचे बन जाओ
सागर कहता है
लहराकर
मन में गहराई लाओ
समझ रहे हो
क्या कहती है
उठ उठ गिर गिर तरल तरंग
भरलो भरलो अपने मन में
मीठी-मठी मृदुला उमंग
धरती कहती
धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सर पर भार
नभ कहता है
फैलो इतना
ढक लो सारा संसार