
नई कंपनियां जो नवाचार की सेवा विकसित कर बाजार में लाने की कोशिश करती हो। उन्हें STARTUP बुलाते हैं।
जिसे वर्तमान आवश्यकता को आसान बनाने हेतु उपयोग में लाया जाता है।
स्टार्टअप हमेशा से नई तकनीकी या नए धंधों के मॉडल से जुड़े होते हैं। सॉफ्टवेयर और आईटी से लेकर स्वास्थ्य सेवा और मैन्युफैक्चरिंग तक के उद्योगों में स्टार्टअप बड़ी संख्या में काम करते हैं। इसमें बहुत ही जोखिम होता है। चुकी ये एक नया उत्पाद बनाते हैं। इस उत्पाद को उपभोक्ता के लाभ देने को साबित करना होता है। जिससे लोगों को जुड़ने में समय लगता है।
सभी स्टार्टअप छोटी टीमों के रूप में शुरू होते हैं। जिनके पास एक नया उत्पाद या सेवा के लिए दृष्टि होती है। जैसे कि किसी क्षेत्र में वाहनों हेतु मैकेनिक, आवासीय परिसरों के लिए पलंबर, बिजली मिस्त्री आसानी से उपलब्ध कराने हेतु एक टीम बनाना या शैक्षिक संस्थानों के लिए ऐसा सॉफ्टवेयर बनाना जो शिक्षा का आसान करें। ऐसे ही अनेक जरूरत के हिसाब से आसानी से सेवा उपलब्ध कराने की दृष्टि।
स्टार्टअप शब्द की शुरुआत
माना जाता है कि स्टार्टअप शब्द की शुरुआत 1970-80 दशक में अमेरिका से हुई। हालांकि नई-नई खोजों द्वारा पुरे विश्व में विकास से संबंधित कंपनियों का निर्माण हमेशा से होता रहा है। 1970 में अमेरिका वियतनाम युद्ध में भी फंसा हुआ था। अमेरिका के बहुत से लोग इस युद्ध का विरोध कर रहे थे। वहां की आर्थिक स्थिति डांवाडोल थी। इसके साथ 1960-70 अमेरिका में बेल-बाटम व डिस्कों युग(disco era) से भी चर्चित है। वहां के युवाओं में फैसन के साथ एक INNOVATION का पैंशन ने जन्म लेना शुरू कर दिया था। जिसने अगले दो दशक तक अमेरिका में नवाचार (Innovation) नीव डाल दी।

उस उथल-पुथल समय में अमेरिका में आर्थिक संघर्ष के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विकास का एक नया काल प्रारंभ हुआ था। स्टीफन हॉकिंग के वैज्ञानिक नजरिया, इंटेल के माइक्रोप्रोसेसर और एप्पल के कम्प्यूटर से शुरू हुआ ये नवाचार आगे चलकर, अमेरिका में नवाचार (INNOVATION) का झोंका ला दिया।
1990 के अंत व 2000 के शुरुआत में ‘जिसे डॉट कॉम बुम(इंटरनेट युग गुबार) के नाम से जाना जाता है’ स्टार्टअप शब्द का की शुरुआत हुई।इसी समय के गुगल, फेसबुक, ट्विटर और अमेजन ऐसे स्टार्टअप हुए जिनको पुरी दुनिया में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।
अमेरिका से शुरू हुई जोखिम लेने, नई-नई खोजों (INNOVATION) और विकास से जुड़ी इस संस्कृति ने कई देशों में में अपना स्थान बना लिया है। उसमें से प्रमुख देशों में चीन, व जर्मनी प्रमुख हैं। ( स्रोत सौरभ मुखर्जी के (मार्सेलस) बातचीत व गुगल सर्च से)

चीन में स्टार्टअप
यहां स्टार्टअप कल्चर तेजी से विकसित हुआ।साथ ही वहां की सरकार ने देश की आर्थिक बदलाव में महत्वपूर्ण काम किया। आर्थिक शक्ति के रूप में चीन आज अमेरिका के सामने खड़ा है। चीन तकनीकी क्षेत्र में आज ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ई कॉमर्स व मोबाइल एप्स में अग्रणी स्थान रखे हुए हैं। पूरे विश्व में कृषि के क्षेत्र में कुछ स्टार्टअप्स जो चीन में काम कर रहे हैं ऐसा अन्य किसी देश में नहीं हो रहा है। चीन के कृषि क्षेत्र में 17 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं। स्रोत tracxn
ताइवान, हांगकांग जर्मनी स्टार्टअप के हब बन चुके हैं। इस तरह स्टार्टअप की इस अवधारणा ने आज पूरी दुनिया में अपना जगह बना ली है।
भारत में स्टार्टअप
1990-91 के बाद भारत में जो सुधार हुए उसने भारतीयों में उद्यमशीलता की नये विचार पनपाने का काम किया । अमेरिका के डॉट कॉम बूम के साथ भारत में सॉफ्टवेयर कंपनियों की नींव पड़ी थी। उन्हीं को भारत का सबसे पहला स्टार्टअप माना जा सकता है।(इंफोसिस टीसीएस व अन्य)
भारत अमेरिका और चीन की तरह तेजी से आर्थिक महाशक्ति बनने की तरफ अग्रसर है। इसअर्थव्यवस्था के विकास के रास्ते में उत्साह और निराशा दोनों दिखता है। एक तरफ हमारे यहां शानदार प्रतिभा उत्पन्न हो रही है। वहीं दूसरी तरफ बहुत बड़ी संख्या युवाओं में आशा उत्पन्न करने में देश असमर्थ रहा है। जिससे हमारे विकास की संभावना में धीमापन है।
पिछले एक दशक से भारतीय सरकार द्वारा स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्टार्टअप इंडिया व मेड इन इंडिया जैसी योजनाएं इनके सहायता हेतु बनाई गई है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि 2025 तक भारत में स्टार्टअप की संख्या डेढ़ लाख पार कर जाएगी। भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं के कारण बहुत से क्षेत्रों में मौके मिलेंगे। लोग एक दूसरे से जुड़ेंगे। और दुनिया भर में उपलब्ध अवसरों के बारे में जानेंगे। फिर इन अवसरों को भुनाने के लिए काम करेंगे।
कोरोना महामारी के बाद भारत में एक नया पैटर्न बना है। देश में तकनीकी व प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है। इलेक्ट्रॉनिक पहचान और यूपीआई भुगतान को बैंकों से जोड़ने के बाद भारत की भुगतान प्रणाली मजबूत हुई है। आर्थिक लेन-दन की प्रक्रिया आसान होने से सबसे निचले स्तर के व्यापार में भी आसानी हुई है। देश में रोड मार्ग दोगुना हुआ है। हवाई जहाज से यात्रा करने वालों की संख्या में लगभग 3 गुनी वृद्धि हुई है। यह सब बदलाव भारत में व्यापार के नए विकल्प उत्पन्न करने की क्षमता रखती है

भारत की जो भौगोलिक स्थिति है। वह अपने आप में एक पूरे विश्व के समान है। जब सभी राज्य एक दूसरे राज्यों की जरूरत पूरा करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने लगेंगे। तो बहुत बड़ा रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
भारत के चर्चित स्टार्टअप
यूपीआई, पेटीएम, फोन पे, मोबिक्वक, जोमैटो, नायका और जिरोधा। ये सभी चर्चित और लगभग स्थापित हो चुके स्टार्टअप है। स्टार्टअप कल्चर से एक चीज हुई है कि किसी धनाढ्य घराने से जुड़े हो होने पर ही सफलता आश्रित नहीं है। इन सभी स्टार्टअप्स के फाउंडर संघर्ष की जानकारी हमें प्राप्त करनी चाहिए।
स्टार्टअप और कारोबार मौके
स्टार्टअप की प्रक्रिया हमें अपने काम की अधिक स्वतंत्रता देगा, नए विचारों के आने से नए उत्पाद व सेवा का विकास हुआ है। आज अपना खुद का व्यवसाय करने के लिए बहुत से विकल्प है। जो हमें आर्थिक रूप से मजबूत और रोजगार का अवसर प्रदान कर सकता है।
ई कॉमर्स
इंटरनेट का उपयोग कर अपने व्यवसाय को बढ़ाया जा सकता है सोशल मीडिया के जरिए अपने सामानों की बिक्री की जा सकती है।
हेल्थ केयर
हेल्थ केयर के क्षेत्र में अगले कई दशकों तक के लिए रोजगार के बहुत से ही अवसर उपलब्ध है। मेडिकल डिवाइस व दवा विक्रेता, स्वास्थ्य जांच हेतु अपना लैब, नर्सिंग का काम व अन्य। हेल्थ केयर के सेक्टर में हर काम के लिए अलग-अलग कोर्स होता है जिसे करना आवश्यक है।
शिक्षा का क्षेत्र
ऑनलाइन कोर्स, स्किल्ड बेस्ट प्रशिक्षण संस्था और अपनी कोचिंग सेंटर के साथ अन्य
भारतीय कृषि क्षेत्र
भारत में कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप अभी कमजोर स्थिति में है। भारत में कृषि योग्य भूमि 156.06 मिलीयन हेक्टेयर (2019गणनानुसार) है। अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कृषि भूमि है भारत के पास। इस तरह से देखें तो भारत में कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स के लिए बहुत ही उचित माहौल है।
भारत सरकार के ‘ स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान’ के तहत कृषि सहित लगभग हर उद्योग में स्टार्टअप के निर्माण में सहायता की जा रही है।
इसके अलावा फाइनेंस से जुड़े क्षेत्र मे तथा मोटर वाहन सर्विसिंग वह पार्ट्स उपलब्ध कराने विषयक अनेको अपने कार्य करने के विकल्प है।जिसमें हम अपना स्टार्टअप्स छोटे स्तर पर भी शुरू कर सकते हैं।