छोटी-छोटी लेकिन अच्छी-बुरी आदतें लगातार बनाए रखने से जुड़ी ये तीन दोस्तों की जीवन यात्रा है जो एक साथ बड़े हुए .. वे एक गांव मुंडेरा में रहते हैं और नौकरी में जाने से पूर्व उनके रहन सहन व लक्ष्य काफी मिलती जुलते रहे हैं ।
पहले दोस्त को हम मुन्ना नाम देते हैं और वह वही सब करता रहता है जो हमेशा से करते आ रहा है जैसे पढ़ाई करना, खेलना आदि। वह खुश है या ऐसा सोचता है इसका कारण भी है वह अपने पढ़ाई में लगातार लगा हुआ है खेलकूद भले थोड़ा सा कम हो गया हो। हां कभी कभार शिकायत करता हैं कि उसके जीवन में अभी कुछ नहीं बदला है…

दूसरा दोस्त अमर कुछ छोटे लेकिन महत्वहीन दिखने वाले सकारात्मक परिवर्तन करने लगता है वह दिन में अपने लक्ष्य से जुड़ी तैयारी के साथ एक अच्छी पुस्तक के 10 पेज पढने लगता है। शाम को कबड्डी ग्राउंड में जाते समय अपने फोन के जरिए कोई प्रेरक ऑडियो सुनने लगता है,वह अपने जीवन में परिवर्तन करना चाहता है लेकिन वह यह काम बड़े पैमाने पर नहीं करना चाहता है उसने हाल ही में एक पाडकास्ट ‘pshycology in Hindi’ सुनना शुरू किया है। इसके विचारों को अपने जीवन में उतारने लगा है हर दिन अपने खानपान में मोटापा लाने वाले पदार्थों की कटौती करने लगता है वह हर दिन टहलने से शुरुआत कर 1 मील के आसपास दौड़ने लगता है जिसे धीरे-धीरे बढ़ाकर वह 5 मील तक कर देता है। इसमें से कोई भी काम भारी बहादुरी या बहुत मेहनत का नहीं है, कोई भी कर सकता है लेकिन अमर इन विकल्पों पर टिके रहने के लिए संकल्पमान है। वह जानता है कि यह चयन सरल है लेकिन उसका मन उन्हें छोड़ने के लिए आसानी से कर सकता है।
तीसरा दोस्त भगत कुछ खराब विकल्प चुनता है। ग्राउंड तो वह भी जाता है लेकिन वहां खेल समाप्त होने के बाद घंटों तक झुंड बनाकर यहां वहां की बातें किया करता है, वह अपने प्रिय कार्यक्रम (फिल्में,वेब सीरीज) ज्यादा देखने लगता है। चुकी उसकी संगत में अमर और मुन्ना है तो वह कभी- कभार किताबें भी पढ़ना होता रहता है वह फास्ट फूड खाता है मिठाइयां उसके पसंदीदा व्यंजन है, कोई बहुत बुरी चीज नहीं कर रहा है वह बस जिंदगी में थोड़े मजे करना चाहता है और थोड़ा तनाव रहित होना चाहता है।
अब अगर उन्हें कोई 5 महीने बाद देखता तो कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं दिखता अमर हर रात थोड़ा पढता है और ग्राउंड जाते समय इधर उधर की बात-चीत के बजाए यूट्यूब या ऑडियो द्वारा सब्जेक्ट से जुड़ी चीजें सुनता है या देखता है, भगत जीवन का आनंद ले रहा है और अच्छी चीजें कम कर रहा है। मुन्ना वहीं सब कर रहा है जो हमेशा से करता रहा है पढ़ाई ज्यादा खेलकूद कम हालांकि हर व्यक्ति का व्यवहार अलग है लेकिन आप थोड़े समय बाद ही उन्हें देखने पर उनकी स्थिति में कोई असली गिरावट या सुधार नजर आए यह नहीं दिखता है। वे लगभग समान दिखेंगे।
कुछ सालों बाद अपनी मेहनत व छोटी छोटी अच्छी आदतों के कारण सबसे पहले मुन्ना और अमर की नौकरी लग जाती है चुकी भगत की संगति थी उन दोनों की तो उनके देखा देखी थोड़ा बहुत मेहनत किए पड़ा था तो उसे भी नौकरी मिल जाती है।
नौकरी के कुछ सालों के बाद तीनों जब इकट्ठे होते हैं। भगत की तोद दिखने लगती हैं, वह तो शरीर से बेढभ हो गया है। जबकि अमर छरहरा पहले से अच्छा हुआ है। अपनी सर्विस में दो दो प्रमोशन पा चुका है। मुन्ना काफी कुछ वैसा ही है जैसा कुछ साल पहले था फर्क सिर्फ इतना है कि वह अब थोड़ा सा मोटा हो चुका है।
अब यहीं पर अच्छी आदतों की जबरदस्त शक्ति दिखती है जो लोग अच्छी आदतों का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए करते हैं और उनके जो समकक्ष ऐसा नहीं करते या जो इसके इस्तेमाल अपने खिलाफ करते हैं उनके बीच इतना ज्यादा फर्क हो जाता है कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

आप तीनों दोस्तों में उनकी आदतों के हिसाब से देखें तो दिखता है कि छोटी-छोटी लेकिन एक समान लगातार अच्छी आदतों के कारण तीनों में कितना अंतर पैदा हो चुका है। चुकी भगत को नौकरी मिल चुकी है परंतु लापरवाही भरी आदतें उसे मोटापे का शिकार बना देती है । मुन्ना भगत की तरह लापरवाह नहीं था लेकिन उसकी एक्टिविटी अमर के बजाए कम थी तो नौकरी अच्छी चल रही है मगर मोटापा ने उसे भी पकड़ लिया है।
वहीं अमर ने जो अच्छी आदतें बनाई थी उसे लगातार बनाए रखा, देखने में कोई भी आदत कठिन नहीं है लेकिन लगातार उन आदतों को बनाए रखा जिससे अपने कैरियर में उन्नति पाई और अपने स्वास्थ्य को मजबूत बनाए हुआ है। हां अमर की एक और बात है जो उसने अपने आदर्श (शहीद-ए-आजम) से सिखा है कि उसे मरते दम तक सीखते रहना है, ये सीखने की उसकी आदत हि उसे एक औसत युवा से बहुत ही योग्य व्यक्तित्व में बदल दिया है।
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‘THE COMPOUND EFFECT’ का सम्पादित अंश
Bahut sunder shiksha parad story
धन्यवाद जी