अज्ञेय जी को पढ़ते हुए इक यायावर की याद और मुझ पाठक द्वारा उसे लिख लेना।
यादें
आप अपनी जिंदगी अपने मन माफिक नहीं जी सकते। हां हम सभी अपनी जिंदगी के खूबसूरत पलों...
मै व्याकुल
इस सौम्यता को जिंदा रखना चाहता हूं
कि दूर अकाश एक सितारा टूटा
आंगन से अचानक गायब हुआ...
सीबलु.. नये-पुराने दिवारों व पेड़ों पर तुम्हारा नाम शामिल हो गया है… जैसे कि दोनों बाबा-माई और...
ये जिस्म ख़त्म होता है तो सबकुछ खत्म हो जाता है पर यादों के धागे कायानात के लम्हों...
सीबलु का मुंडेरा अपने गांव में वापस आना सोचता हूं क्या...