जहां के गलियों,रास्तों, बगीचों में,खेतों की पगडंडियों पर, हम सभी दोस्त व भाई साथ साथ खेलते-कुदते .. एक से बढ़कर एक यालगार पल गुजारें है। फिर सोचता हुं हड़बड़ाकर ‘मुंडेरा छोड़ना आसान नहीं है’ ….. ….. …… ……. ……
कैसे मुश्किल होगाअपने गांव में वापस न आना.. जहां आगे भी वैसे ही छोटे भाई-बहन अपने बड़े भाई के पीछे खेलते-कुदते,खिलखिलाते,मचलते होंगे.. फिर से इन्हीं लड़कों में सीबलु अपनी सभी खुशनुमा यादों के साथ बसता रहेगा ऐसे हि तो ‘मुंडेरा छोड़ना आसान नहीं है’
🥺🥺🥺🥺
एक एक दिन याद आता है बस ऐसा लगता है कही दूर चले जाए