उदास मैं
तड़पते अनिवार ख्यालों के साथ
उसे खिलखिलाते देखता हूं
चांदनी की लौ में….
बड़की माई के बाजू पर लेटे
कहानी सुन रहा है वह
आंगन की उस सौम्य फिजा में….
मै व्याकुल
इस सौम्यता को जिंदा रखना चाहता हूं
कि दूर अकाश एक सितारा टूटा
आंगन से अचानक गायब हुआ वो
खो गया द्युलोक के अंधेरे में।
2.
मेरी भयावह दुश्चिंता साथ
कोलाहल से भरी ये दुनिया..
और वह अकेला
अचानक, अकारण, असमय
112 असह्य बिंद
3
बचपन में…
मेरे साथ-साथ सभी अनुज
क्रिकेट और कबड्डी के मैचों के चक्कर में
आसपास के गांवों को धांग आया करते थे
सीबलू इसी यायावर बचपने का मेरा भाई।
मुझे एहसास होता है
उन सभी खेल के मैदानों पर..
पसीने से उसके कपड़े का भीग जाना
जो अब मेरे आंखों से टपकते हैं..