![]() |
‘ओमप्रकाश’ बात जब हमारे जिले के कबड्डी मैचों की आती है तो ओमप्रकाश व रिंकु जैसे प्लेयरों से सजी टीम ‘देवकठीया’ ज़िले के सभी मजबूत टीमों(हुस्सेपुर,बरंदा इंग्लिशपुर) के लिए हमेशा से बहुत कठिन प्रतिद्वंद्वी रहें हैं.. खुद कबड्डी में ओमप्रकाश जी का सम्मान भी बहुत था अगर ओमप्रकाश के टीम के साथ किसी का मैच हो तो उस मैच के 80% दर्शकों का समर्थन ओमप्रकाश के साथ हो जाता था चाहे वो गाजीपुर के कबड्डी लिग/नेशनल प्लेयरों वीर सिंह या मनोज जैसे से सजी टीम से हि क्यों न हो .
क्षेत्रीय कबड्डी मैचों में ओमप्रकाश जी से मुलाकात भीखनापुर मैच (१९९९मेंशायद) में हुई थी हमउम्र इस खिलाड़ी का मैच देखकर हमारे सीनियरों ने उस समय कहा था कि गाजीपुर के कबड्डी में ये लड़का छा जायेगा बाद में एक दशक तक ये छाये भी रहें हैं।
प्रतिद्वंद्वी दोस्त, घनिष्ठ दोस्त में बदल गया। इससे पहले ओमप्रकाश मेरे लिए कबड्डी के खेल का कम बोलने वाले एक गम्भीर खिलाड़ी ही थे आरटीसी के शुरुआती में ये एक गंभीर प्रशिक्षु के रूप में ही थे, वो तो समय के साथ पता चला कि इस बंदे में कितनी चहुलबाजी भरी पड़ी थी । प्रशिक्षण के दौरान ओम प्रकाश को उनके बड़े भाई साहब घर से उनके लिए कुछ न कुछ लाते रहते धीरे धीरे उसमें मेरा भी हिस्सा होने लगा था..सही कहें तो ओमप्रकाश की इस घनिष्ठता से.. उनके बड़े भाई के सहज प्रेम व आदर की उस भुमिका ने आगे के लिए मुझे एक भाई-दोस्त के रूप में ज्यादा संवेदनशील बनाया।ओमप्रकाश एक जिंदादिल मजेदार कबड्डी खिलाड़ी रहे हैं वे हमेशा से अपने गांव ‘देवकाठिया’ के लिए खेलते रहे बाद में जब हम लोग के नौकरी में कुछ दिनों का विराम लगा तो कुछेक मैच मेरे साथ ‘इंग्लिशपुर’ की भी टीम में शैलेन्द्र के वजह से वे खेले थे, दोबारा बहाली के बाद यूपी पुलिस में अपने तैनाती के जिले और जोन की कबड्डी की टीमों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं,वे युपी पुलिस टीम में भी जुड़े रहे हैं..