
यह कहानी पंचतंत्र की कहानियों से प्रेरित होकर लिखी गई है। इस कहानी के पात्र पशु-पक्षि है, जो अपनी एकजुटता की शक्ति से चुनौतियों से निपटते हैं।
जंगल के चार दोस्त और शिकारी
एक बार की बात है, एक जंगल में चार दोस्त रहते थे। एक चूहा, एक कौआ, एक हिरण और एक कछुआ। वे बहुत करीब थे। एक-दूसरे के साथ खेलने और बातें करने में घंटों बिताते थे।
एक दिन, उन्होंने एक शिकारी के बारे में सुना जो जंगल में आया था। वह जानवरों को बाजार में बेचने के लिए पकड़ रहा था। चारों दोस्त जानते थे कि उन्हें सावधान रहना होगा। उन्हें शिकारी से हर कीमत पर बचना होगा। लेकिन एक दिन शिकारी ने उन्हें देख लिया और उनका पीछा करने लगा।
मात देने की योजना
चारों दोस्तों को जल्द ही एहसास हुआ कि उन्हें शिकारी को मात देने के लिए एक योजना बनानी होगी। इस समस्या का हल निकालने के लिए सभी दोस्त इकट्ठा होकर विचार करने लगे।
चूहा बहुत ज्यादा आत्मविश्वास में था। उसने सुझाव दिया कि कोई फिक्र करने की जरूरत नहीं है। शिकारी के जाल की रस्सियों को मेरे नुकीले दांत कुतर लेंगे। मैंने इससे पहले भी ऐसे शिकारियों से जंगल के राजा को बचाया है। अगर शिकारी किसी को पकड़ लेगा तो उन्हें उसके चुंगल से वह मुक्त करा देगा।
कौवे ने कहा कि नहीं कोई भी लापरवाही नहीं करनी है। बहुत ही सचेत व चलाकी से काम लेना है। जब मैंने अपनी समझदारी से पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े घड़े में डालकर उसके नीचेले सतह से पानी को ऊपर लाकर अपनी प्यास बुझाई थी। वैसे ही सुझ-बुझ से हम शिकारी के गिरफ्त से बच सकते हैं। कौआ ने कहा कि वह पेड़ों के ऊपर उड़कर शिकारी की हरकतों पर नजर रख सकता है।
इसी तरह से हिरण ने व्याकुलता पैदा करने के लिए शिकारी के आगे दौड़ने की पेशकश की, जबकि कछुए ने सुझाव दिया कि वह अपनी धीमी रफ्तार के बावजूद भी वैसे ही सूझबूझ से काम करेगा जैसे उसने खरगोश को दौड़ में हराकर किया था। उसने कहा कि वह अपने खोल में छिप सकता है, शिकारी के तीरों से खुद को बचा सकता है।

सभी दोस्त जल्दी से काम पर लग गए। सबने अपनी-अपनी योजना को तैयार किया। कौआ शिकारी की तलाश में रहता था। जब वह बहुत करीब आ जाता था तो दूसरों को चेतावनी देता था।
हिरण जंगल में इधर-उधर भागकर, शिकारी को भ्रमित किया और उसके लिए किसी एक जानवर को निशाना बनाना कठिन बना दिया। कछुआ शिकारी के बाणों से सुरक्षित अपने खोल में छिप गया।
चुहे की लापरवाही
सभी दोस्तों की एकजुटता व चलाकी के बीच चुहा लापरवाही करने लगा। चुहा यहां-वहां घुमने लगा। जैसे-जैसे शाम हुई चूहा और लापरवाह होता गया। आख़री में चुहा जाल में फंस गया।
अब इधर शिकारी को कोई जानवर हाथ नहीं आ रहा था। धीरे-धीरे शाम हो गई। अब वह अपनी जाल समेटने जा रहा था। उसने देखा कि उसके जाल में एक चुहा फंसा हुआ है। उसने चुहे को एक पिंजड़े में बांध लिया। शिकारी मन ही मन सोचने लगा कि बहुत ही थक गया हूं। आज कोई बड़ा जानवर जाल में फंसा नहीं है। भुख बहुत तेज लगी है, चुहा ही सही, इसे आग में तल कर खा जाता हूं।
दोस्तों की योजना
कौआ, हिरण, और कछुआ अपने दोस्त पकड़ जाने से परेशान हो गए थे। वे जानते थे कि उन्हें चुहे को बचाने के लिए जल्दी से काम करना होगा। वे सभी एकजुट होकर चुहे को छुड़ाने का उपाय सोचने लगे। उन्होंने चूहे को शिकारी के चंगुल से छुड़ाने की योजना बनाई।
एकजुटता की शक्ति
शिकारी के डेरे की तलाश में कौवा जंगल के ऊपर उड़ गया। उसने शिकारी को देखा कि वह चूहे को पिंजरे में बंद कर दिया है। अपनी योजना के तहत कौवे ने हिरण और कछुआ को वही झाड़ी के पीछे खड़ा कर दिया।
हिरण और कछुआ झाड़ियों में छिपे कौवे को इशारा देने का इंतजार करने लगे। योजना के हिसाब से हिरन लापरवाही का दिखावा कर शिकारी के सामने से आगे बढ़ने लगा। कछुए ने जानबुझकर झाड़ियों को हिलाकर हलचल किया। झाड़ियों के हलचल से शिकारी ने हिरन को देख लिया। आखरी शिकार के लालच में शिकारी हिरण के पीछे हो लिया।
जब शिकारी हिरन के पीछे गया, तो कौवा उड़ गया और पिंजरे को बंद करने वाली रस्सियों को चोंच मारने लगा। कुछ मिनटों के लगातार चोंच मारने के बाद, पिंजरे का दरवाजा खुल गया। चूहा पिंजरे से बाहर निकल आया और अपने दोस्तों के साथ भाग गया।
आजादी की खुशी
एक बार फिर से मिलने की खुशी में चारों ने एक-दूसरे को गले लगाया। चुहा अपनी लापरवाही और एकजुट दोस्तों का साथ छोड़ने का अफसोस था। साथ ही उन्हें अपने दोस्तों के साथ देने और उनकी तेज सोच पर गर्व था। उस दिन से, चारों दोस्त पहले से भी ज्यादा करीब आ गए थे। वे जानते थे कि चाहे उन्हें किसी भी चुनौती का सामना करना पड़े। वे एक-दूसरे की सहायता के लिए तैयार रहेंगे व आपस में भरोसा कर सकते हैं।

दो बातें पंचतंत्र की कहानियों की
अब बात उस रचना की जिस से प्रेरित होकर मैंने यह कहानी गढ़ी है। पंचतंत्र की कहानियां, मनुष्य व पशु-पक्षियों के कथाओं की एक पुरानी रचनाओं का संग्रह है। जिसके बारे में माना जाता है कि इसे लगभग 200 ईसा पूर्व विष्णु शर्मा जी ने लिखा था।
पंचतंत्र की कहानियों को आपस में जुड़ी दंतकथाओं की एक श्रृंखला के रूप में तैयार किया गया है। जिसमें जानवरों या मनुष्यों के समूहों को अनेक चुनौतियों और दुविधाओं का सामना करना पड़ता है, और उन्हें दूर करने के लिए वे अपनी बुद्धि और सरलता का उपयोग करते है।
कहानी का सार
कुल मिलाकर, प्रस्तुत कहानी व पंचतंत्र की कहानियां हमें सिखाती है कि खुद को संगठित करके और एक साथ काम करके, हम बड़े से बड़े समस्याओं को हल कर सकते हैं। पंचतंत्र की कहानियाँ आज भी लोकप्रिय हैं। और अक्सर बच्चों को Teamwork, दोस्ती और सहयोग के बारे में महत्वपूर्ण नैतिक पाठ पढ़ाने के लिए उपयोग की जाती हैं।