यात्रा वृत्तांत – ‘ वह भी कोई देस है महराज ‘

यही कोई 10 दिन पहले की बात है एक असमिया मानुक हाथी पर चावल लादकर दीमापुर आया चावल बेच कर लौटते समय वारी रेलवे स्टेशन के आउटर पर हाथी का पिछला एक पैर रेल की पटरी के जोड़ में फंस गया। वह काफी देर तक स्टेशन मास्टर के दफ्तर के बाहर बैठा रहा।बाबू उसे विनती की कि वह उसका हाथी निकाल दो। बेचारे की किसी ने नहीं सुनी